नमस्कार दोस्तों
आज मैं आप सभी को एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहा हूं जिन्हें आप अच्छे से जानते हैं जिनके वजह से भारत अपनी मुसीबतों से निकल पाया चाहे वो IC 814 का hijack हो या उरी में हुआ air strike , अब तक तो आप समझ ही गए होंगे मैं किसकी बात कर रहा हूं ,जी हां मैं बात कर रहा हूं अपने देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल की । श्री डोभाल आई.पी.एस. (सेवानिवृत्त), भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वे 30 मई 2014 से इस पद पर हैं।
अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी और इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए। वे 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं और इसके बाद मिजोरम आदि जगहों पर शांति स्थापित करने में सहायता प्रदान की।
अजीत डोभाल जो की सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टर माइंड माने जाने जाते हैं, का जन्म 20 जनवरी को हुआ था. वह एक ऐसे भारतीय हैं, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करते. वह पाकिस्तान के लाहौर में अपने देश की रक्षा के लिए 7 साल तक मुसलमान बनकर रहे थे. वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं, जिन्हें सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान पाने वाले वह पहले पुलिस अफसर हैं.
आइए जानते हैं अजीत डोभाल के कुछ रोमांचक किस्सों के बारे में :
1. भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई थी और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
2. जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था हालांकी इसमें आतंकी मसूद अजहर को भारत से रिहा करना पड़ा।
3. कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी।
उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
4. अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।
5. डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।
6. डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं।
7. डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का लीड किया।
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